क्या 65 साल की उम्र में मिलनी चाहिए 20% अतिरिक्त पेंशन? लोकसभा में प्रधानमंत्री से पूछे गए अहम सवाल

🔶 प्रस्तावना

भारत सरकार द्वारा वर्तमान में 80 वर्ष की आयु के बाद पेंशनरों को 20% अतिरिक्त पेंशन दी जाती है। लेकिन देश भर के लाखों पेंशनरों की मांग है कि यह अतिरिक्त लाभ 65 वर्ष की उम्र से ही मिलना शुरू हो। इसी मुद्दे पर हाल ही में लोकसभा में प्रधानमंत्री से सीधा सवाल पूछा गया, जिसने पूरे देश में बहस को जन्म दे दिया है।

🔶 क्या था सवाल?

लोकसभा में सांसद मणिकम टैगोर बी और विजय वसंत द्वारा पूछे गए प्रश्न संख्या 2991 के तहत प्रधानमंत्री से निम्नलिखित बिंदुओं पर जवाब मांगा गया:

  1. 80 वर्ष की आयु को अतिरिक्त पेंशन की पात्रता के लिए क्यों चुना गया?
  2. क्या सरकार 65 वर्ष या 60 वर्ष की उम्र से यह लाभ देने पर विचार कर रही है, जैसा कि संसद की स्थायी समिति ने सिफारिश की थी?
  3. यदि यह बदलाव लागू होता है, तो इससे कितने पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे और सरकार पर आर्थिक भार कितना पड़ेगा?
  4. सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि अतिरिक्त पेंशन समय पर और पारदर्शी तरीके से मिले?
  5. क्या राज्य सरकार के पेंशनभोगियों को भी यह लाभ मिलेगा?
  6. क्या सरकार इस बात का ध्यान रखती है कि यह पेंशन महंगाई दर के साथ मेल खाती रहे?

🔶 सरकार का जवाब

इस सवाल का जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा:

  • वर्तमान में जो अतिरिक्त पेंशन मिल रही है, वह छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है।
  • यह अतिरिक्त पेंशन इस प्रकार दी जाती है:
    • 80 वर्ष: 20% अतिरिक्त
    • 85 वर्ष: 30%
    • 90 वर्ष: 40%
    • 95 वर्ष: 50%
    • 100 वर्ष: 100%
  • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें और खर्च बढ़ते हैं, इसलिए यह संरचना तय की गई है।
  • 110वीं संसद की स्थायी समिति की यह सिफारिश (65 वर्ष से 20% अतिरिक्त पेंशन) फिलहाल स्वीकार नहीं की गई है।
  • उन्होंने यह भी बताया कि महंगाई भत्ते (DA) के ज़रिए पेंशन को महंगाई के अनुरूप समायोजित किया जाता है।

🔶 पेंशनरों की आशाएँ और हकीकत

यह सवाल उठना इस बात को दर्शाता है कि उम्रदराज़ पेंशनरों को अधिक सहायता की आवश्यकता है। 65 साल की उम्र से अतिरिक्त पेंशन की मांग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • इस उम्र में ही कई बीमारियाँ और शारीरिक कमज़ोरियाँ शुरू हो जाती हैं।
  • अधिकांश पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य खर्च बढ़ जाता है जबकि आमदनी स्थिर रहती है।
  • महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे जीवन-यापन कठिन हो रहा है।

🔶 निष्कर्ष

जहाँ एक ओर सरकार की नीति वृद्धावस्था में अतिरिक्त सहयोग देने की है, वहीं दूसरी ओर संसद की स्थायी समिति और आम जनता यह मांग कर रहे हैं कि 65 साल की उम्र से ही यह सहायता शुरू होनी चाहिए।

यह मुद्दा केवल पेंशन की राशि का नहीं, बल्कि सम्मान, गरिमा और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है।

📝 आपकी राय?

क्या आप मानते हैं कि 65 साल की उम्र से अतिरिक्त पेंशन मिलनी चाहिए?
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जय हिंद | जय भारत

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